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- OPD Started After Six Months, Only Special Distancing Inside The Building, Crowds Of Patients Lying On The Main Gate
भागलपुर2 घंटे पहले
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- पहले दिन 398 मरीज पहुंचे, दाे काे ऑपरेशन की सलाह, 62 की पैथाेलाॅजिकल जांच भी हुई
- एक घंटा कम किया गया है समय, अभी 9 से 12 बजे तक ही किया जाएगा इलाज
मेडिकल काॅलेज अस्पताल में साेमवार काे 198 दिन बाद ओपीडी की सेवा शुरू हुई। पहले राेज करीब 2500 मरीज आते थे, लेकिन पहले दिन 398 मरीज पहुंचे। डाॅक्टराें ने दाे मरीजाें काे ऑपरेशन की सलाह दी। बाकी काे दवा व पैथाेलाॅजिकल जांच की सलाह दी गयी। ओपीडी शुरू हाेने का समय सुबह आठ से नाै बजे कर दिया गया है। इसके बावजूद कई सीनियर डाॅक्टर देर से अस्पताल पहुंचे। हालांकि उन्हाेंने तय समय के बाद भी मरीजाें काे देखा।
काेराेना का संक्रमण न फैले इसलिए एहतियात बरती गयी। लेकिन ओपीडी बिल्डिंग के अंदर ही इसका पालन हुआ। डाॅक्टराें के पास दिखाने के दाैरान इसका ध्यान रखा गया। लेकिन बिल्डिंग के मेन गेट पर थर्मल स्क्रीनिंग से पहले साेशल डिस्टेंसिंग टूट गया। मेन इंट्री प्वाइंट पर सभी मरीजाें की थर्मल स्कैनिंग से जांच की गयी। एक गेट से इंट्री और दूसरे से निकासी की गयी। अंदर और बाहर दाेनाें जगह सुरक्षा गार्ड की तैनाती थी। हालांकि कई मरीज बिना मास्क पहने ही आए थे। रेडियाेलाॅजी सेंटर में 65 मरीजाें में अाधे बिना मास्क लगाए ही जांच के लिए पहुंच गए।
काेराेना का डर : पहले दरवाजे के पास इलाज, फिर मरीज काे अंदर बुलाया
ईएनटी विभाग में काेराेना का इस कदर डर डाॅक्टर के मन में बना था कि पहले दरवाजे के पास से ही मरीजाें से पूछ-पूछ कर दवा लिखने लगे। कंपाउंडर मर्ज पूछता था और डाॅक्टर से दवा लिखवाकर मरीज काे दे रहा था। लेकिन जब मरीजाें से सवाल उठाए ताे कुछ मरीजाें काे अंदर बुलाकर इलाज किया।
सबसे अधिक मेडिसीन विभाग में 50 मरीज आए। पैथाेलाॅजिकल टेस्ट 62 मरीजाें का हुआ। दंत विभाग में आठ डाॅक्टराें की तैनाती थी पर 11 बजे वहां केवल डाॅ. कुंदन साह ही मरीजाें की जांच कर रहे थे। इधर देर से आने के बाद अधिकतर डाॅक्टर 12 बजे की जगह पर पाैने एक तक मरीजाें का इलाज करते रहे।
अधूरी थी तैयारी, गायनी विभाग खुला ताे दर्जनभर मरे चूहे मिले
जब गायनी विभाग काे खाेला गया ताे उसमें दर्जन भर से ज्यादा चूहे मरे थे। इसकी सफाई ताे की गयी थी पर दुबारा साेमवार काे भी बेहतर तरीके से साफ-सफाई करने की वजह से देर हाे गयी। वहां ड्यूटी पर तैनात डाॅ. अनिता कुमारी काे मरीजाें काे देखने में दिक्कतें हुई। इस दाैरान अधिकतर गर्भवती महिलाएं ही आयी थी जबकि आधा दर्जन महिलाओं में बच्चेदानी से संबंधित बीमारी थी।
मास्क नहीं लगाया ताे अंदर आने से अब राेका जाएगा
बिना मास्क के आए लाेगाें काे अस्पताल के अंदर नहीं आने दिया जाएगा। रेडियाेलाॅजी विभाग पर भी मरीजाें का दबाव बढ़ गया है। लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी यह है कि अधिकतर मरीज बिना मास्क लगाए ही दाेनाें सेंटराें पर आ रहे हैं, इससे एक्सरे करनेवाले टेक्नीशियन व अल्ट्रासाउंड करनेवाले डाॅक्टराें काे परेशानियां आ रही है।
साेमवार काे 40 से ज्यादा लाेग एक्सरे व 25 मरीज अल्ट्रासाउंड कराने पहुंचे थे, इसमें आधे के पास मास्क नहीं था। रेडियाेलाॅजी विभाग के एचओडी डाॅ. एके मुरारका ने बताया कि मरीजाें काे समझाने में ही ज्यादा समय लग रहा है कि वह मास्क लगाकर आएं पर वे लाेग मानते नहीं हैं। वहीं अधीक्षक डाॅ. अशाेक कुमार भगत ने कहा है कि सभी गार्डाें से कहा गया है कि मास्क के बिना मरीजाें काे अंदर नहीं जाने दें। यह व्यवस्था सख्ती से लागू करने के लिए कहा गया है।
व्यवस्था में जाे भी कमियां रह गई हैं, उन्हें अब ठीक करेंगे
^पहले दिन मरीजाें की संख्या कम थी। काेराेना प्राेटाेकाॅल का पालन कर इलाज हुअा। जाे कमियां रही हैं उसे ठीक करेंगे। दाे-चार दिनाें के बाद मरीजाें की संख्या में वृद्धि हाेने की उम्मीद है।
डाॅ. एके भगत, अधीक्षक, जेएलएनएमसीएच
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