छौड़ाही19 मिनट पहले
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- विधानसभा चुनाव का बनेगा अहम मुद्दा, पशुपालकों को होती है दिक्कत
विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही तमाम राजनीतिक पार्टियां क्षेत्र के विकास के मुद्दों को प्राथमिकता देते हुए इसकी तैयारियों में जी जान से जुट गए हैं। किंतु खोदावंदपुर तथा छौड़ाही की सीमा पर अवस्थित मवेशी अस्पताल तकरीबन तीन दशक से उद्धारक की बाट जोह रहा है। चुनाव के समय लोकलुभावन वादे कर कई जनप्रतिनिधि जीते लेकिन आजतक इसका जीर्णोद्धार नहीं हो सका।
आसपास के दस गांवों के पशुपालक अपने पालतु पशुओं को प्राइवेट पशु चिकित्सक से महंगे इलाज कराने को विवश हैं। दौलतपुर मालीपुर मुख्य पथ पर दोनों प्रखंड की सीमा पर भोजा गांव के समीप अवस्थित मवेशी अस्पताल जनप्रतिनिधियों की उदासीनता की भेंट चढ़ गई। आलम यह है कि पशु अस्पताल भूत बंगले में तब्दील हो चुका है।
इधर विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजते ही इसके जीर्णोद्धार का मुद्दा अहम चुनावी मुद्दा बनकर सामने आ चुका है। उपेक्षा का शिकार वोटर चुनाव जीतने के बाद लौट कर वापस नहीं आने वाले नेताओं तथा उनके झूठे आश्वासन से आजिज होकर प्रत्याशियों को सबक सिखाने का मन बनाया है।
पशुपालक रामअशीष यादव, दिनेश चौधरी, दिवाकर चौधरी, पंकज चौधरी, बुलीत यादव, शिवजी महतो, कैलाश महतो, संजय पासवान आदि पशुपालकों ने कहना हुआ कि तीस वर्षाें से आजतक लोकसभा तथा विधानसभा चुनाव जीतकर कितने जनप्रतिनिधि आए और गए लेकिन जीतने के बाद कोई वापस भेंट करने तक नहीं आए जिससे कि उन्हें इस समस्या से अवगत कराया जा सके। जिसे हमलोग अब इस विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनाकर वोट मांगने वाले प्रत्याशी से अवश्य पूछेंगे।
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