डुमरांव21 घंटे पहले
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प्रखंड के सोलहो पंचायतों में चलने वाली रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) प्रशासनिक उदासीनता के कारण धीरे-धीरे गले की फांस बनती जा रही है। आने वाले दिनों में अगर समुचित रूप से इनका क्रियान्वयन नहीं होता है तो संबंधित अधिकारियों को उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
क्षेत्र के नया भोजपुर, पुराना भोजपुर, चिलहरी, लाखनडीहरा, अरियांव, मुगांव, सोवां, नुआंव, कोरानसराय , कुशलपुर अंटाव, कुशलपुर आदि अन्य पंचायतों में इस योजना की शिथिलता का आलम है कि 25 प्रतिशत लोगों को ही रोजगार उपलब्ध कराया गया है। जबकि कम से कम 100 दिनों का रोजगार उपलब्ध करना है।
निबंधित परिवारों द्वारा काम मांगने पर भी उन्हें काम मुहैया नहीं कराया जा रहा है। इससे लोगों में रोष व्याप्त है। प्रखंड के अधिकारियों की पेचीदगी तथा पंचायत प्रतिनिधियों की सुस्ती के कारण अभी तक 15 प्रतिशत ही राशि खर्च हो पाई है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि रोजगार को लेकर प्रशासनिक महकमा कितना सक्रिय है।
ऐसा नहीं कि इसमें पैसा उपलब्ध नहीं है। पैसे के उपलब्धता के बाद भी निबंधित परिवार को रोजगार नहीं मिलने से उनमें आक्रोश तो है ही कथित हितैषी पंचायत प्रतिनिधियों पर से उनका विश्वास दिनों दिन उठता जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार के दावे और वास्तविकता में बहुत फर्क है। एक तरफ रोजगार देने की बात की जा रही है। वही दूसरी तरफ प्रखंड के लोग इसके लिए तरस रहे हैं।
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