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- Bihar Election 2020, Siwan Latest News Update; Leaders Promised To Build An International Library And Research Center
सीवान24 मिनट पहलेलेखक: अमित जायसवाल
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सीवान के जीरादेई में स्थित देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का पैतृक आवास।
- निवर्तमान सांसद आरके सिन्हा और ओम प्रकाश ने ऐलान करने के बाद पीछे मुड़कर भी नहीं देखा जीरादेई को
- आरके सिन्हा ने एक करोड़ और ओम प्रकाश ने 25 लाख रुपया देने का किया था ऐलान, आजतक हो रहा पैसे का इंतजार
सीवान का जीरादेई। देश रत्न की धरती। देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली। वह विधानसभा इलाका, जहां न जाने कितनी घोषणाएं हुईं। कितने वादे नेताओं की तरफ से किए गए, लेकिन धरातल पर उतरा कुछ भी नहीं। इन्हीं में से एक घोषणा थी इंटरनेशनल लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर बनाने की।
जीरादेई में डॉ. राजेंद्र प्रसाद के घर से ठीक पहले दाहिनी तरफ एक मंदिर है। मंदिर के बगल में ही एक बड़ा सा बोर्ड लगा है, जिस पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद अंतरराष्ट्रीय लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर लिखा हुआ है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि वहां सिर्फ बोर्ड ही लगा हुआ है। उसके पीछे सिर्फ पेड़-पौधे ही लगे हैं। हमें न तो कोई लाइब्रेरी मिली और न ही उसके लिए बनाई गई किसी प्रकार की कोई बिल्डिंग। हां, बोर्ड के बगल में ही लाइब्रेरी के शिलान्यास का शिलापट्ट जरूर मिला। इसे पढ़ने और लोगों से बात करने के बाद पता चला कि जीरादेई के लोगों के साथ नेताओं ने कितनी बड़ी ठगी की है, उन्हें कितना बड़ा धोखा दिया है।

इंटरनेशनल लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर का बोर्ड।
शिलान्यास के लिए पटना से बुलाए गए थे नेताजी
बात 3 दिसंबर 2015 की है। उस वक्त भाजपा नेता आरके सिन्हा राज्यसभा सांसद थे। इंटरनेशनल लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर के शिलान्यास के लिए उन्हें पटना से जीरादेई बुलाया गया था। उस दौरान एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। आरके सिन्हा ने लोगों को लुभाने के लिए बड़ा ऐलान भी कर दिया। लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर बनाने के लिए आरके सिन्हा ने उस वक्त एक करोड़ रुपया देने की घोषणा की थी। इस बात को अब करीब 5 साल होने को हैं लेकिन आज तक आरके सिन्हा अपनी बातों पर खरे नहीं उतरे। अब तो वो सांसद भी नहीं रहे। राज्यसभा का उनका टर्म खत्म हो चुका है। आज भी जीरादेई के लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। आरके सिन्हा से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में हम गए थे। घोषणा भी किए थे, लेकिन जिस आदमी ने जमीन देने की बात कही, उसने ही मेरे सांसद रहते तक में जमीन नहीं दी। फंड पास कराने के लिए जमीन के पेपर की जरूरत थी, पर उन्होंने मेरे कार्यकाल में पेपर दिया ही नहीं। वो आदमी फ्रॉड है। हम रुपया हवा में तो देते नहीं।

इंटरनेशनल लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर के शिलान्यास का शिलापट्ट।
25 लाख देने का वादा भी पूरा नहीं किया
लाइब्रेरी के शिलान्यास कार्यक्रम में उस वक्त सीवान के सांसद रहे ओमप्रकाश भी शामिल हुए थे। इन्होंने भी जीरादेई की जनता को भरमाया है। 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां के लोगों ने अपना कीमती वोट देकर ओमप्रकाश को सांसद बनाया था। इलाके के लोग बताते हैं कि कार्यक्रम के दौरान उन्होंने भी लाइब्रेरी बनाने के लिए 25 लाख रुपए देने की घोषणा की थी। लेकिन हुआ वही, जो पूर्व सांसद आरके सिन्हा ने किया। इन दोनों नेताओं ने जीरादेई में आकर लोगों के सामने सिर्फ घोषणाएं और वादे ही किए, उन्हें निभाया नहीं।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर इंटरनेशनल लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर बनाने के लिए जमीन दान करने वाले सुरेंद्र सिंह।
मंदिर के पुजारी बोले- हमने दान की थी अपनी जमीन
जीरादेई की जिस जमीन पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर इंटरनेशनल लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर बनाया जाना था, उसके लिए उसी गांव के ही सुरेंद्र सिंह उर्फ बच्चा सिंह ने अपनी ढाई कट्ठा जमीन दान कर दी थी। दैनिक भास्कर की टीम उनसे मिली भी। इस मुद्दे पर वो खुलकर बोले। साफ तौर पर कहा कि नेताओं ने उन्हें ठगा है। लाइब्रेरी बनाने के लिए उन्होंने अपनी जमीन तो दे दी, लेकिन नेताओं ने अपनी सांसद निधि से बिल्डिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर बनवाने के लिए जो रुपया देने की बात कही थी, वो आज तक नहीं मिला। इस मंदिर को डॉ. राजेंद्र प्रसाद की बुआ भगवती देवी ने बनवाया था और सुरेंद्र सिंह पिछले कई सालों से इस मंदिर की सेवा करते आ रहे हैं। इसी मंदिर के बगल की अपनी जमीन को उन्होंने लाइब्रेरी बनाने के लिए दान किया था, पर नेताओं के झूठे वादों की वजह से हुआ कुछ भी नहीं।
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