बीहट8 घंटे पहले
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पानी मे डूबा उपस्वास्थ्य केन्द्र बीहट।
- बीहट की 80 हजार की आबादी के लिए है ये असप्ताल
नगर परिषद बीहट बाजार स्थित पोखर के पास बना अस्पताल विगत दो माह से पानी में डूबा है। स्थिति यह कि लगातार बारिश होने की वजह से अस्पताल तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। वहीं दूसरी ओर इस स्वास्थ्य उपकेंद्र पर दवाई तो मिलना मुश्किल है, आम दिनों में खुलना भी संभव नहीं था।
स्थिति यह है कि कोरोना सहित अन्य बीमारियों से लड़ना तो दूर की बात है बल्कि यह खुद इलाज के टकटकी लगाए वर्षों से पड़ा हुआ है। लगभग 80 हजार की आबादी वाले इस नगर बीहट के पास मात्र एक यही उप स्वास्थ्य केंद्र है जिसे वर्षों से खुद के इलाज की जरूरत है। अब जब बारिस काफी हो गया है तो यह उपस्वास्थ्य केन्द्र पानी में तैरता नजर आ रहा है।
ऐसे दौर में जब विश्व की आबादी कोरोना से बचाव के लिए अस्पतालों की ओर टकटकी लगाए बैठा है तो इस अस्पताल को खुद के इलाज की जरूरत है । अपने स्थापना काल से ही डॉक्टर के नहीं होने की वजह से यह बीमार पड़ा है। इस घनी आबादी के लिए डॉक्टर ना सही, नर्स ना सही, दवाई के नाम पर पेट दर्द और रुई डेटॉल भी नहीं मिलने वाला है।
ऐसी स्थिति में गांव के ही जमींदाता स्मृतिशेष प्रो रामाशीष सिंह, राजकिशोर सिंह, नवलकिशोर सिंह, रामाधार सिंह, प्रो चन्द्रमणि सिंह के सपने अधूरे पड़े हैं जब इस अस्पताल से एक लोगों का भी इलाज संभव नहीं हो पा रहा है।
दो एएनएम की ड्यूटी भी लगाई गई है
4 कठ्ठे की जमीन पर चार कमरों वाला यह अस्पताल 1991- 92 में बनकर तैयार हो गया। तब से लेकर आज तक यह केवल भवन के रूप में खड़ा है। बरौनी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से इस केंद्र के लिए दो एएनएम को प्रतिनियुक्त किया गया। जिनको सप्ताह के दो दिन कम से कम स्वास्थ्य उप केंद्र, बीहट पर अपनी सेवा देनी है, लेकिन स्थिति ठीक इसके विपरीत है।
तीन दिन की बात दूर यह अस्पताल महज विशेष अवसरों पर ही खुला दिखाई पड़ता है। प्लस पोलियो अभियान, विशेष टीकाकरण अभियान के तहत इस स्वास्थ्य केंद्र पर स्वास्थ्य कर्मियों की आवाजाही देखी जा सकती है। दो एएनएम को इस केंद्र पर े देखभाल के लिए लगाया गया है।
एक माह बाद ही अस्पताल से निकल पाएगा पानी
सरकारी कागज पर अस्पताल की सेवा 24 घण्टे के लिए मानी जाती रही है। बीहट उपकेंद्र पर सप्ताह के तीन दिन केंद्र पर और तीन दिन क्षेत्र के आंगनवाड़ी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर सेवा ली जाती रही है लेकिन, स्थिति इससे इतर है निर्धारित रूप से केंद्र को मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को तो नियमित समय से खुलना ही है इसके अलावे शेष तीन दिन केंद्र को समय से खोलकर क्षेत्र में जाने की बात है ।
ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले एक माह बाद ही अस्पताल परिसर से पानी निकल पाएगा। ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य केंद्र के नहीं खुलने से पीढ़ी की नई पीढ़ी या फिर कहें 80 फीसदी लोग नहीं जानते हैं कि बीहट में भी सरकारी अस्पताल है ।
वहीं अस्पताल निर्माण के 30 वर्ष बाद भी ना तो उसके परिसर की सफाई की जा सकी है ना ही उसका रंग-रोगन। जीर्ण-शीर्ण स्थिति में पड़े अस्पताल की स्थिति बद-बदतर हो चली है।
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