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- Ministry Of Defence Canceled Reliance Naval Contract Of Rupees 2500 Crore
नई दिल्ली15 मिनट पहले
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2015 में इस ग्रुप का नाम पिपावाव डिफेंस एंड ऑफशोर इंजीनियरिंग लिमिटेड था। बाद में इसका नाम बदलकर रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड कर दिया था। (डेमो पिक्चर)
- रिलायंस को नौसेना के लिए पांच गश्ती जहाज बनाने थे, यह करार 2011 में हुआ था
- रिलायंस नेवल की दिवालिया प्रक्रिया पर पड़ सकता है असर
रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी की मुश्किलें कम नहीं हो रहीं। अब रक्षा मंत्रालय ने रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड (आरएनईएल) को दिया 2500 करोड़ रुपए का ठेका रद्द कर दिया है। इसके तहत रिलायंस नेवल को भारतीय नौसेना के लिए गश्ती जहाजों की आपूर्ति करनी थी, लेकिन देरी के कारण ठेका रद्द कर दिया गया। सूत्रों के मुताबिक, मंत्रालय ने दो सप्ताह पहले ही यह फैसला किया है।
2011 में हुआ था समझौता
रिलायंस ग्रुप और रक्षा मंत्रालय के बीच नौसेना के लिए पांच गश्ती जहाजों को लेकर 2011 में एक समझौता हुआ था। यह समझौता रिलायंस ग्रुप की ओर से निखिल गांधी से गुजरात के शिपयार्ड को खरीदने से पहले हुआ था। 2015 में इस ग्रुप का नाम पिपावाव डिफेंस एंड ऑफशोर इंजीनियरिंग लिमिटेड था। बाद में इसका नाम बदलकर रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड कर दिया था।
एनसीएलटी अहमदाबाद में चल रही है दिवालिया प्रक्रिया
अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की अहमदाबाद बेंच में दिवालिया प्रक्रिया चल रही है। ट्रिब्यूनल ने उसके खिलाफ दिवालियापन की कार्यवाही की भी अनुमति दी है। वित्तीय लेनदारों ने 43,587 करोड़ रुपए का दावा किया है। हालांकि, रेजोल्यूशन प्रोफेशनल ने अब तक केवल 10,878 करोड़ रुपए की योजना को मंजूरी दी है। बाकी दावे पेंडिंग हैं।
इन कंपनियों ने जताई है रिलायंस नेवल खरीदने की इच्छा
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अगस्त में 12 कंपनियों ने रिलायंस नेवल को खरीदने के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) दाखिल की थी। इन कंपनियों में एपीएम टर्मिनल्स, यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन (रूस), हेजल मर्केंटाइल लिमिटेड, चौगुले ग्रुप, इंटरप्स (अमेरिका), नेक्स्ट ऑर्बिट वेंचर्स, एआरसीआईएल, आईएआरसी, जेएम एआरसी, सीएफएम एआरसी, इन्वेंट एआरसी और फियोनिक्स एआरसी शामिल हैं।
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