पटना11 मिनट पहले
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- मतदान पदाधिकारियों के प्रशिक्षण के दौरान कोरोना से बचाव के सारे नियम बेकार
- डेढ़ महीने का बच्चा लेकर ट्रेनिंग लेने पहुंची मां की मजबूरी सुनने वाला कोई नहीं
एक महीने पहले 5 सितंबर को जब विधानसभा चुनाव के लिए ट्रेनिंग शुरू हुई तो ऐसी व्यवस्था रखी गई थी कि अंदर या बाहर, कहीं कोई अव्यवस्था नजर नहीं आ रही थी। और, 7 अक्टूबर के वीडियो-फोटो को देखिए! कहीं व्यवस्था नाम की कोई चीज दिख रही है तो निर्वाचन आयोग खुद देख ले। कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर नियम-कानून बाकायदा पोस्टर-बैनर में छपकर टंगे हैं, लेकिन इन्हें टंगवाने वालों को भी पालन कराने की चिंता नहीं।

ये थी 5 सितंबर की व्यवस्था
पटना जिला निर्वाचन पदाधिकारी की ओर से सख्त दिशा-निर्देश के बावजूद मतदान पदाधिकारियों के प्रशिक्षण स्थल राजकीय बालिका उच्च मध्य विद्यालय गर्दनीबाग में न केवल यह हकीकत सामने आई, बल्कि महज डेढ़ महीने के बच्चे को लेकर ट्रेनिंग के लिए पहुंची मां को जहां-तहां फरियाद लेकर भटकते भी देखा गया।
दो दर्जन मांओं ने भास्कर डिजिटल टीम के सामने बताई अपनी परेशानी
कोरोना संक्रमण के खतरे के कारण तीन साल तक के बच्चों की दो दर्जन मांओं ने दैनिक भास्कर डिजिटल की टीम के सामने अपनी परेशानी बताई। हालांकि कार्रवाई के डर से इन लोगों ने नाम बताने में परेशानी जताई। यह माएं बच्चों को दूसरों के भरोसे छोड़कर आई थीं, लेकिन इसी भीड़ में डेढ़ महीने के बच्चे को लेकर दानापुर केंद्रीय विद्यालय से आई रश्मि परेशान होकर जहां-तहां दौड़ती नजर आई। इस मां ने साफ कहा कि स्कूल ने उन्हें यहां भेज दिया और चुनाव ड्यूटी से बाहर रहने के लिए आवेदन कौन लेगा और उसका क्या होगा, यह बताने वाला यहां कोई नहीं। पांच से सात महीने की प्रेग्नेंट तीन महिलाओं से भी मुलाकात हो गई, क्योंकि इनका पेट पता चल रहा था। पूछने पर कहा – छोटे बच्चे को लेकर आने वाले तो दौड़ रहे, लेकिन हमें तो दौड़भाग करना और सीढ़ियां चढ़ना मना है…कैसे और किससे मिलने जाएं।

आशुतोष ने कहा कि ट्रेनिंग की तस्वीरों को देखकर लगता था कि नियम-कानून का पालन होगा लेकिन अब तो डरा गए हैं कि क्या होगा इस हाल में।
‘…अब तो डरा गए हैं कि क्या होगा इस हाल में’
प्रशिक्षण केंद्र में प्रवेश द्वार पर थर्मल स्कैनिंग करने वाला और सेनिटाइजर लगाने वाला मुस्तैद नजर आया, लेकिन उसके बाद प्रशिक्षण कक्ष की सूची वाली जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा था। महिलाएं बिना मास्क के घूम रही थीं। आसपास सटकर बातें कर रही थीं। पुलिसकर्मी तक बिना मास्क के घूम रहे थे। मेडिकल टीम भी मास्क नाक से नीचे उतारकर बतिया रही थी। कदमकुआं से पत्नी को लेकर ट्रेनिंग दिलाने आए आशुतोष ने कहा कि ट्रेनिंग की तस्वीरों को देखकर लगता था कि नियम-कानून का पालन होगा लेकिन अब तो डरा गए हैं कि क्या होगा इस हाल में।

कुछ भी छू लो…किसी को अंतर नहीं पड़ रहा था
अंदर आने के बाद कुछ भी छू लो और बगैर सैनिटाइज किए हुए हाथों से मुंह-नाक छुओ तो किसी को अंतर नहीं पड़ रहा था। इन मतदान पदाधिकारियों को ही व्यापक पैमाने पर चुनाव में ड्यूटी करनी है और इन्हें कोरोना काल के पहले चुनाव के लिए तैयार किस तरह किया जा रहा है, यह बाहर खड़े परिजनों के बीच भी चर्चा का विषय बना था।

राजकीय बालिका उच्च मध्य विद्यालय गर्दनीबाग में न केवल यह हकीकत सामने आई।
सब्जीबाग के मुजब्बिर ने कहा – अंदर कौन कोरोना लेकर आया होगा, कौन बांट जाएगा और कौन संक्रमण लेकर घर जाएगा…किसी को कुछ पता नहीं। चुनाव के बाद कोरोना बढ़ा तो आश्चर्य नहीं होगा।
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