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नई दिल्लीएक घंटा पहले
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सोमवार की फोटो मुंबई की है। हाथरस की घटना के विरोध में कई संगठन और विपक्षी दल देशभर में प्रदर्शन कर रहे हैं।
- दलित लड़की से गैंगरेप के मामले की जांच अभी यूपी सरकार की SIT कर रही
- यूपी पुलिस और प्रशासन पर आरोपियों को बचाने की कोशिश करने के आरोप
हाथरस के बुलगढ़ी गांव में दलित लड़की से गैंगरेप मामले की हाई लेवल जांच की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। अर्जी लगाने वाले सोशल एक्टिविस्ट सत्यम दुबे, वकील विशाल ठाकरे और रुद्र प्रताप यादव ने अपील है कि इस केस की जांच सीबीआई या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड या मौजूदा जज या फिर हाईकोर्ट के जज से करवाई जाए।
पिटीशनर्स का दावा- यूपी पुलिस ने झूठी बातें फैलाईं
पिटीशनर्स ने यह अपील भी की है कि हाथरस केस को दिल्ली ट्रांसकर करने का आदेश जारी किया जाए, क्योंकि उत्तर प्रदेश पुलिस-प्रशासन ने आरोपियों के खिलाफ सही कार्रवाई नहीं की। पीड़ित की मौत के बाद पुलिस ने जल्दबाजी में रात में ही शव जला दिया और कहा कि परिवार की सहमति से ऐसा किया गया। लेकिन, यह सच नहीं है, क्योंकि पुलिसवाले ने खुद चिता को आग लगाई और मीडिया को भी नहीं आने दिया था।
पिटीशनर्स ने कहा है कि पुलिस ने पीड़ित के लिए अपनी ड्यूटी निभाने की बजाय आरोपियों को बचाने की कोशिश की। ऊंची जाति के लोगों ने पीड़ित के परिवार का शोषण किया, लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया।
क्या है पूरा मामला?
हाथरस जिले के चंदपा इलाके के बुलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को 4 लोगों ने 19 साल की दलित युवती से गैंगरेप किया था। आरोपियों ने युवती की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी और उसकी जीभ भी काट दी थी। दिल्ली में इलाज के दौरान 29 सितंबर को पीड़ित की मौत हो गई।
इस मामले में चारों आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं। हालांकि, पुलिस का दावा है कि दुष्कर्म नहीं हुआ था। उधर, यूपी सरकार इस मामले की जांच SIT से जांच करवा रही है। पीड़ित का शव जल्दबाजी में जलाने और लापरवाही के आरोपों के बीच हाथरस के एसपी समेत 5 पुलिसकर्मी सस्पेंड भी किए गए हैं।
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